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पहलगाम से सिंदूर तक: क्या अब खत्म होगा आतंक का खेल या फिर बढ़ेगा तनाव?

On: May 8, 2025 7:11 AM
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from pahalgam to operation sindoor will the game of terror end now or will tensions rise
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आजकल सीमा पार सैन्य संघर्षों को सुलझाना केवल रक्षा क्षमताओं पर ही नहीं, बल्कि दोनों पक्षों की कूटनीतिक कोशिशों पर भी निर्भर करता है। इसीलिए, ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के कुछ ही घंटों बाद भारत ने दुनिया के प्रमुख देशों से संपर्क किया और पाकिस्तान के चुनिंदा इलाकों में सैन्य कार्रवाई के बारे में जानकारी दी।

बुधवार (7 मई) की सुबह, भारत ने पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमला किया और इस सैन्य अभियान को ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया। यह सैन्य कार्रवाई कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। पहलगाम नरसंहार उन आतंकी संगठनों ने किया था, जिनके ठिकाने पाकिस्तान में होने की आशंका है।

हालांकि दुनिया भर के देशों ने पहलगाम हत्याकांड की निंदा की थी, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया सतर्क थी और उन्होंने दोनों देशों से संकट से निपटने में संयम और विवेक बरतने की अपील की।

भारतीय उपमहाद्वीप के प्रति वैश्विक भावनाओं को समझते हुए, नई दिल्ली जानती है कि पड़ोसी देश पर किसी भी सैन्य आक्रमण को मित्र और विरोधी दोनों ही नापसंद करेंगे। इसीलिए, भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और रूस सहित कई देशों के अपने समकक्षों से संपर्क किया और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने चीन के अपने समकक्ष से भी बात की।

दुनिया ने भारत के कदम पर क्या प्रतिक्रिया दी?

ज्यादातर देशों की प्रतिक्रिया पहले से अनुमानित थी। अभी तक अधिकांश देश किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं, हालांकि कुछ नेताओं के बयान थोड़े अस्पष्ट थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस स्थिति को “शर्मनाक” बताया और आशा जताई कि यह “बहुत जल्द” खत्म होगी। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व के साथ बातचीत जारी रखेंगे।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारतीय सैन्य कार्रवाई पर चिंता जताई और दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की। ब्रिटेन, रूस, जापान, फ्रांस, यूएई जैसे कई देशों की प्रतिक्रिया में भी गहरी चिंता साफ झलक रही थी।

हालांकि, चीन की प्रतिक्रिया थोड़ी अलग थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत की सैन्य कार्रवाई को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई।

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इस्लामाबाद के साथ चीन के मजबूत संबंधों को देखते हुए, यह उम्मीद थी कि चीन ऑपरेशन सिंदूर की और ज्यादा आलोचना करेगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राजदूत जियांग ज़ाइडोंग ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से सोमवार को मुलाकात की और स्पष्ट कहा कि “चीन हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करेगा ताकि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।”

अभी तक केवल दो देशों-इज़राइल और तुर्की-ने खुलकर किसी एक पक्ष का समर्थन किया है। इज़राइल ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। वहीं, तुर्की ने भारत की जवाबी कार्रवाई को “पाकिस्तान की संप्रभुता का अनुचित उल्लंघन” बताया।

बड़े देश क्यों नहीं ले रहे स्पष्ट पक्ष?

इज़राइल या तुर्की की तरह बड़े देशों के लिए भारत-पाकिस्तान विवाद पर स्पष्ट रुख अपनाना आसान नहीं है, क्योंकि कई कारक इसमें शामिल हैं।

सबसे पहले, दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और किसी भी तरह का तनाव बढ़ना पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी हो सकता है। इसीलिए वैश्विक स्तर पर संयम बरतने की अपील की जा रही है।

दूसरा, हाल के अनुभव बताते हैं कि क्षेत्रीय संघर्षों की भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है। मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति को देखते हुए, कोई भी देश भारतीय उपमहाद्वीप में सैन्य संघर्ष नहीं चाहेगा। भारत एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, जिसके साथ अन्य देश व्यापार करना चाहते हैं।

इंडो-पैसिफिक में भारत की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, बड़े देश इसे रक्षा सौदों के लिए एक आकर्षक स्थान मानते हैं। साथ ही, भारत की बढ़ती विकास जरूरतें और विशाल उपभोक्ता आधार तेल निर्यातक देशों और विनिर्माण कंपनियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। ट्रम्प के टैरिफ से परेशान होकर चीन भी भारत के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

वहीं, अमेरिका, चीन और कई अन्य बड़े देशों के पाकिस्तान के साथ सैन्य और आर्थिक संबंध हैं। इसलिए यह संभावना नहीं है कि कोई भी प्रमुख देश भारत या पाकिस्तान को नाराज करने का जोखिम उठाएगा।

क्या होगा आगे?

जैसा कि शशि थरूर ने लिखा है, “वैश्विक स्तर पर एक ही संदेश सुनाई दे रहा है-दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने की जरूरत।”

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लेकिन, अभी की स्थिति देखते हुए यह कल्पना करना मुश्किल है कि दोनों पक्षों को कैसे शांति वार्ता के लिए राजी किया जाएगा। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों में गोलाबारी जारी रखे हुए है, और उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि देश “पूर्ण युद्ध के लिए तैयार” है।

भारत भी अपने रुख पर अडिग है और केंद्र सरकार ने कल एक अखिल दलीय बैठक बुलाई है, जिसमें स्थिति का आकलन किया जाएगा। साथ ही, भारत ने पाकिस्तान की किसी भी तरह की “गलत हरकत” से निपटने की प्रतिबद्धता जताई है।

ऐसी बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति को शायद केवल सहानुभूति रखने वाले देशों की कूटनीतिक पहल से ही शांत किया जा सकता है। मार्को रुबियो ने संकेत दिया है कि वह दोनों पक्षों के संपर्क में हैं। अमेरिका के प्रभाव को देखते हुए, रुबियो भारत और पाकिस्तान को तनाव कम करने के लिए राजी कर सकते हैं।

भारत के नजदीक, सऊदी अरब के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। भारत ने पहले ही खाड़ी देश से संपर्क किया है। यह रियाद के लिए पर्याप्त कारण हो सकता है कि वह दोनों पड़ोसियों के बीच मध्यस्थता करे।

भारत-पाकिस्तान विवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं। पिछले कई सालों से बड़े देशों ने इस संघर्ष का अपने हित में इस्तेमाल किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार ऐसा नहीं होगा और विश्व नेता भारत-पाकिस्तान के बीच शांति बहाल करने के लिए कूटनीतिक पहल करेंगे।

Manish Chaudhary

Meet Manish Chaudhary, a writer who helps make boring subjects interesting. He's been doing it for 5 years and is good at it. He's a skilled researcher and fact-checker, ensuring that whatever he writes is accurate and informative, with a unique and simple style.

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