भारत के IPO मार्केट में पिछले कुछ सालों से एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है – “Overvaluation और Anchoring Bias का खेल”। अब इसी ट्रेंड की अगली कड़ी बनकर आ रहा है LensKart Solutions Ltd. का ₹7,278.02 करोड़ का IPO, जो 31 अक्टूबर को खुलेगा और 4 नवंबर को बंद होगा। कंपनी ने अपने शेयरों का प्राइस बैंड ₹382-₹402 प्रति शेयर तय किया है और इसका अनुमानित मार्केट कैप लगभग ₹70,000 करोड़ बताया जा रहा है।
IPO प्राइसिंग का “खेल” क्या है?
प्रसिद्ध निवेशक और Gquant FinXRay के फाउंडर शंकर शर्मा के अनुसार, IPO प्राइसिंग एक “mental game” है जिसे बहुत कम लोग समझते हैं – यहाँ तक कि वो भी नहीं, जो इसे तय करते हैं। उन्होंने अपने एक आर्टिकल में लिखा कि उन्हें खुद इस खेल का सही मतलब Paytm IPO के समय समझ आया।
| कंपनी | लिस्टिंग मार्केट कैप (₹ करोड़) | मौजूदा मार्केट कैप (₹ करोड़) | गिरावट (%) | 
|---|---|---|---|
| Paytm | 1,40,000 | ~20,000 | -85% | 
| Nykaa | 50,000 | ~12,000 | -75% | 
| Zomato | 60,000 | ~30,000 | -50% | 
| PolicyBazaar | 45,000-50,000 | ~20,000 | -60% | 
| CarTrade | 7,400 | ~2,000 | -70% | 
इन आंकड़ों से साफ है कि IPO के बाद अधिकांश कंपनियों के शेयर 40% से 80% तक गिरे, लेकिन फिर भी निवेशक इन्हें “good value deals” समझने लगे। यहीं से शुरू होता है Anchoring Bias का खेल।
क्या है Anchoring Bias?
Anchoring Bias का मतलब होता है – किसी चीज़ को बहुत ऊँचे वैल्यूएशन पर देखना, जिससे बाद में उसका गिरा हुआ मूल्य भी “सस्ता” लगने लगे।
उदाहरण के तौर पर,
- जब Paytm ₹1.4 लाख करोड़ पर लिस्ट हुआ, तो निवेशकों ने इसे “huge success” समझा।
- लेकिन जब इसका स्टॉक ₹350 तक गिरा, तब भी लोगों ने इसे “cheap buy” कहा – जबकि असल में कंपनी की intrinsic value इससे भी कम थी।
यह पूरी तरह psychological trap है। कंपनियां जानबूझकर IPO की कीमत ऊँची रखती हैं ताकि बाद में स्टॉक गिरे तो भी “discounted deal” जैसा लगे।
IPO मार्केटिंग का असर
शंकर शर्मा के मुताबिक, भारतीय retail investors को यह बताया गया कि ये loss-making “Tech Companies” हैं, इसलिए P/E Ratio या Valuation Metrics पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।TV चैनल, Financial Influencers और Analysts ने इस नैरेटिव को और बढ़ावा दिया। नतीजा – लोग IPO को “future multibagger” मानकर पैसा लगा बैठे।
Real Value बनाम Hype Value
शंकर शर्मा ने लिखा कि –
- Paytm अभी भी लगभग 20x Revenue पर ट्रेड कर रहा है, जबकि यह अब एक NBFC + Brokerage model बन गया है।
- Nykaa लगभग 10x Sales,
- PB Fintech (PolicyBazaar) लगभग 15x Revenue,
- और CarTrade करीब 12x Revenue पर चल रहा है।
इससे साफ है कि IPO के वक्त इनकी वैल्यूएशन “ground reality” से कहीं ज़्यादा थी।
| कंपनी | Revenue Multiple (वर्तमान) | Core Business Type | 
|---|---|---|
| Paytm | 20x | Fintech / NBFC | 
| Nykaa | 10x | Beauty & Retail | 
| PB Fintech | 15x | Insurance / Fintech | 
| CarTrade | 12x | Auto Marketplace | 
LensKart IPO – क्या दोहराएगा वही खेल?
अब बारी है LensKart की। कंपनी की मजबूत ब्रांड पहचान और बड़े offline नेटवर्क के बावजूद, इसका ₹70,000 करोड़ मार्केट कैप कई निवेशकों के लिए “overvalued” माना जा रहा है।
शंकर शर्मा का तर्क है:
“अगर किसी कंपनी का IPO पहले ही inflated value पर लाया गया है, तो लिस्टिंग के बाद गिरावट भी एक ‘opportunity’ लगती है – जबकि असल में वह value correction होता है।”
इसलिए संभावना है कि LensKart भी इस “IPO pricing game” का हिस्सा बने। लिस्टिंग के बाद शेयर भले ही कुछ गिरावट दिखाए, लेकिन मार्केट कैप ₹3,000 करोड़ तक नहीं गिरेगा – यही Anchoring Bias का असर है।
निष्कर्ष: निवेशक क्या सीखें
IPO मार्केट में चमक-दमक और “listing gains” के पीछे छिपी प्राइसिंग स्ट्रेटेजी को समझना जरूरी है।
 
 
 











