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सिर्फ बम नहीं गिरे, पेट्रोल-डीजल भी बेकाबू हो सकते हैं!

On: June 22, 2025 8:44 AM
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खबरों की माने तो अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हमला किया है। ये हमला ऐसे समय पर किया गया है जब दुनिया की अर्थव्यवस्था पहले से ही डगमगाई हुई है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि ईरान इस हमले का जवाब कितना ज़ोरदार देता है


दुनिया की इकॉनमी पहले से ही कमजोर

पिछले कुछ महीनों में World Bank, IMF और OECD जैसी बड़ी संस्थाओं ने दुनिया की ग्रोथ का अंदाज़ा घटा दिया है। यानि, पहले ही हालत कुछ खास नहीं है। अब अगर तेल या गैस की कीमतें और बढ़ गईं, या इस झगड़े से व्यापार में कोई बड़ा झटका लगा – तो दुनिया की इकॉनमी और ज़्यादा स्लो हो सकती है।

Bloomberg के एक्सपर्ट्स ने कहा:अगर ईरान पलटवार करता है तो मामला और बिगड़ सकता है। इससे तेल महंगा होगा, और महंगाई (inflation) फिर से सिर उठाएगी।


तेल की कीमतें भागीं ऊपर

जैसे ही हमला हुआ, तेल के दामों पर सट्टा लगाने वाले मार्केट में 8.8% की तेजी आ गई। अगर यही ट्रेंड रहा, तो जब मार्केट खुलेगा, तो तेल $80 प्रति बैरल के पास पहुंच सकता है।

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Iran के विदेश मंत्री ने अमेरिका पर नाराज़गी जताई और कहा: “ये हमला बहुत ही घटिया हरकत है। इसके नतीजे लंबे समय तक भुगतने पड़ेंगे। हम हर तरह से अपना बचाव करेंगे।


अगर Strait of Hormuz बंद हुआ तो?

अब ज़रा सोचिए – अगर ईरान जवाबी कारवाही करते हुए Strait of Hormuz को बंद कर देता है (जहां से दुनिया का 20% तेल जाता है) – तो तेल $130 प्रति बैरल से ऊपर चला जाएगा। इस कदम का ये असर हो सकता है की  अमेरिका में महंगाई 4% तक पहुंच सकती है। अमेरिका में महंगाई 4% होने से वहां के बैंक ब्याज दरें कम करने की प्लानिंग को टाल सकते हैं।


🇺🇸 अमेरिका भी बुरी तरह फंसेगा

हालांकि अमेरिका खुद अब तेल एक्सपोर्ट करता है, फिर भी तेल महंगा होने से उसकी अपनी इकॉनमी पर प्रेशर बढ़ेगा। अभी हाल ही में अमेरिका ने अपनी ग्रोथ का अंदाज़ा घटाकर 1.7% से 1.4% कर दिया है।


🇨🇳 चीन और 🇪🇺 यूरोप पर भी असर

चीन, जो ईरान से सबसे ज़्यादा तेल खरीदता है, उस पर भी सीधा असर पड़ेगा। हालांकि उनके पास थोड़ा स्टॉक है, पर वो ज़्यादा दिन नहीं चलेगा। उधर यूरोप के लिए दिक्कत गैस की सप्लाई को लेकर बढ़ जाएगी। Qatar, जो दुनिया के 20% गैस एक्सपोर्ट करता है, उसी रास्ते (Strait of Hormuz) से सप्लाई करता है – और उसके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है।

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कुछ राहत भी मिल सकती है

अगर हालात बहुत बिगड़े, तो:

  • OPEC+ देश (जैसे सऊदी अरब) अपनी एक्स्ट्रा ऑयल सप्लाई शुरू कर सकते हैं।
  • और International Energy Agency ज़रूरत पड़ने पर अपना emergency stock मार्केट में छोड़ सकती है – ताकि दाम थोड़ा कंट्रोल में आए।

काम शब्दों में बात की जाए तो:

दुनिया की इकॉनमी पहले से ही खस्ता हाल में है। अब अगर Middle East में जंग बढ़ी, तो तेल महंगा होगा, जिससे महंगाई और आर्थिक संकट गहरा सकता है।

Oxford Economics के एक एक्सपर्ट ने साफ बोला:मिडिल ईस्ट का ये तनाव, दुनिया की कमजोर इकॉनमी के लिए एक और बड़ा झटका है। तेल की बढ़ती कीमतें और महंगाई से सेंट्रल बैंकों की नींद उड़ सकती है।

Manish Chaudhary

Meet Manish Chaudhary, a writer who helps make boring subjects interesting. He's been doing it for 5 years and is good at it. He's a skilled researcher and fact-checker, ensuring that whatever he writes is accurate and informative, with a unique and simple style.

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